रविवार, 19 दिसंबर 2021

Artificial Intelligence... क्या इंसानों की जगह ले लेंगे रोबोट्स?


मशीनों ने पहले इंसान की जिंदगी बदली और अब नया दौर आने वाला है दुनिया में स्मार्ट मशीनों का... यानी जब मशीन खुद से सोच-समझ सकेंगे और खुद से फैसले ले सकेंगे. ये कैसे संभव होगा इसे अभी दुनिया कौतूहल के साथ देख रही है लेकिन तकनीक की दिग्गज कंपनियां इसे सच कर दिखाने के बहुत करीब हैं. इसे नाम दिया गया है- Artificial Intelligence. आज हर कोई जानना चाहता है कि आखिर ये है क्या?

साल 1955 में अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक जॉन मेकार्थी ने इस तकनीक की पहचान की थी. इसका सीधा मतलब था उस तकनीक से जिससे मशीनों को स्मार्ट बनाया जा सके. ये दो शब्दों आर्टिफिशियल और इंटेलिजेंस से मिलकर बनी है. यानी इंसान द्वारा निर्मित सोच की शक्ति. इस तकनीक की मदद से ऐसा सिस्टम तैयार किया जा सकता है, जो इंसानी बुद्धिमत्ता यानी इंटेलिजेंस के बराबर होगा. यह तकनीक खुद सोचने, समझने और कार्य करने में सक्षम है.

नए उभरते रोबोट्स के रहस्य और तकनीक के तमाम विकास के बावजूद अब तक दुनिया में मशीन और इंसान के बीच एक बड़ा फर्क है, वो है सोचने-समझने की क्षमता और लॉजिक के आधार पर फैसले कर काम करने को लेकर... लेकिन आपको हैरानी होगी कि आने वाली दुनिया में ये हालात बदलने वाली है. यानी मशीन भी खुद से सोच-समझ कर लॉजिक के आधार पर फैसले कर पाएंगे और इससे मेडिकल-एजुकेशन, रिसर्च समेत तमाम क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव आने वाले हैं. इस तकनीक को आने वाले कल की दुनिया की तस्वीर बताई जा रही है.

इंसानों की तरह क्षमताएं

कुछ हद तक दुनिया में ये लंबे समय से चली आ रही है सुपर कंप्यूटर के रूप में,  लेकिन अब सुपर स्मार्ट मशीनों का दौर आने वाला है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पिछले समय का डेटा स्टोर कर, उनका इस्तेमाल कर खुद सीखने और फैसला लेने में सक्षम है. इसकी क्षमता मानव मस्तिष्क की सीमा तक पहुंच गई है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस प्रणाली के आने से रोबोट्स इंसानों की तरह यह जान सकेंगे कि उनका वजूद क्या है. इसके बाद इंसानों और मशीनों में कोई अंतर नहीं रह जाएगा.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक आने से मेडिकल सेक्टर को सबसे ज्यादा फायदा होगा. इस तकनीक से एक्सरे रीडिंग आसान हो जाएगी. डॉक्टर्स को अनुसंधान में मदद मिलेगी. साथ ही मरीजों का बेहतर तरीके से इलाज भी किया जा सकेगा. खासकर रिमोर्ट डायग्नोसिस और रिमोट सर्जरी के जरिए. इसके अलावा खेल, स्कूल-कॉलेज से लेकर कृषि के क्षेत्र से जुड़े लोगों को भी इससे बहुत फायदा होगा. तकनीक के जरिए ट्रेनिंग और नई जानकारियों को तुरंत लोगों को समझाने में आसानी होगी.

हालांकि, कुछ लोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आने के खतरे भी गिनाने लगे हैं. लोगों का मानना है कि स्मार्ट मशीनों के आने से कई काम मशीन कर सकेंगे. इससे बेरोजगारी बढ़ेगी. इसके अलावा जैसा कि हॉलीवुड फिल्मों में दिखाया जाता है वैसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आने से मानव जाति को भी खतरा हो सकता है. क्योंकि रोबोट्स इस तकनीक के जरिए अपने आप को विकसीत कर खुद खतरनाक हथियार बना सकते हैं. हालांकि इतने दूर के भविष्य के खतरे को लेकर अभी कोई ठोस आधार नहीं है और इसीलिए लोग अभी इसे कौतूहल भरी नजरों से देख रहे हैं.

गुरुवार, 2 दिसंबर 2021

तकनीक पर इंसान की निर्भरता पर एक इंटरेस्टिंग फैक्ट...


आपको जानकर हैरानी होगी कि जहां दुनिया की आबादी 8 अरब के करीब है वहीं दुनिया में इस्तेमाल हो रहे कुल मोबाइल फोन की संख्या 15 अरब है. यानी दोगुने के करीब...पहले इंसान मशीनों से मदद लेता था लेकिन अब हर आदत मशीनों के अनुसार हो गया है. एक छोटा सा मोबाइल आज के इंसान के लिए क्या-क्या नहीं है... अलार्म, घड़ी, टीवी, रेडियो, बैंक, घर पर मौजूद बाजार, निवेश, ऑनलाइन पढ़ाई का माध्यम, गेम, मनोरंजन के लिए सिनेमा, गानों और खेल का अड्डा... लेकिन इसके खतरे भी कई हैं... आज ये जहां हर काम में मददगार है वहीं इंसान की दुनिया इसी छोटे से मोबाइल में कैद होकर भी रह गई है... दुनिया का सबसे महंगा मोबाइल फोन The Goldphone by Caviar को माना जाता है. सोने से बने इस मोबाइल की कीमत 1,26,56,000 रुपये है. 

जंग कहां-कहां और कैसे कैसे असर डाल सकती है?

 समयकाल... साल 1941-1942 यूरोप में दूसरे महायुद्ध के छिड़े करीब दो साल हो गए थे. ब्रिटिश शासन में होने के बावजूद शुरू के दो साल भारत या दिल्...